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- प्रमुख रचनाएं,
- भाव पक्ष- कला पक्ष,
- साहित्य में स्थान,
Ans-
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ निराला ‘
कला पक्ष-
इनकी भाषा परिष्कृत संस्कृत की तत्मस शब्दावली है। यह ओज, मधुर्य व प्रसाद गुरणों से अलंकृत है। इनकी शैली में विविधता लिए हैं। प्रेम सौंदर्य में गीत शैली राष्ट्रीय भावनाओं में ओजपूर्ण शैली शोषित और पीडियो में संवेदना और सहानुभूति में व्यंग शैली का कुशलता से प्रयोग हुआ है।
साहित्य में स्थान-
छायावादी कवियों में निराला जी अपने अनूठे प्रयोग धार्मिकता के कारण अन्यतम स्थान के अधिकारी हैं। वह युगांत कारी कवि एवं महामानव हैं। निराला जी हिंदी साहित्य में एक प्रबल शक्ति व हिंदी साहित्य को वरदान साबित होंगे।
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